मिस्र सभ्यता के लोग बालों से बेइंतहा नफ़रत करते थे. बालों के प्रति उनकी नफ़रत इतनी थी कि जितनी दो दुश्मन भी आपस में नहीं करते होंगे. उनके मुताबिक, शरीर पर बाल होना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है. इसलिए वो लोग शरीर से हर तरह के बाल को साफ़ कर देते थे. मिस्र के लोगों की फोटोज़ में सिर पर जो बाल नज़र आते हैं, वो असली नहीं, बल्कि विग हैं. ये लोग विग को टोपी की तरह पहनते थे, वो भी सिर्फ़ इसलिए ताकि सूर्य की सीधी धूप उनके सिर पर न पड़े.
मिस्र में मेकअप करना आवश्यक था. ये लोग सुरमा का प्रयोग ज़रूर करते थे. वो मानते थे कि हरा और काला सुरमा उन्हें सूर्य की किरणों, मक्खियों तथा हानिकारक संक्रमणों से बचाए रखता था. इसके अलावा ये सूर्यदेव (होरस) को श्रद्धांजलि और नमन करने का एक तरीका भी था.
इन लोगों के लिए दांतों को साफ़ रखना इतना महत्त्वपूर्ण था कि वो ममियों को टूथ पिक के साथ दफनाते थे. माना जाता है कि प्राचीन मिस्र के निवासियों ने ही एक तरह की टूथपेस्ट की शुरुआत की थी. इसे बनाने में वे बैल के खुरों का पाउडर, जले हुए अंडे की छाल तथा राख के मिश्रण का प्रयोग करते थे.
ये बहुत ही अचंभित करने वाली बात है कि मिस्र में फराओ (राजाओं) के मरने के बाद उनके नौकरों को भी उनके साथ ज़िंदा दफ़ना दिया जाता था. पहले लोग नौकरों को सिर पर वार करके बेहोश कर देते थे और फिर दफ़ना देते थे.
माना जाता है कि सन् 400 से 800 के बीच मिस्र के ज़्यादातर लोग ईसाई धर्म के अनुयायी थे. लेकिन 10वीं सदी के मध्य में मुसलमानों के हमले के बाद बड़ी संख्या में लोगों का धर्म परिवर्तन हुआ और उन्होंने इस्लाम कबूल कर लिया. बाद में उनकी कॉप्टिक भाषा की जगह भी अरबी भाषा ने ले ली.
अलेक्जेंड्रिया में जन्मी हुई क्लियोपैट्रा यूनानी परिवार मक्लोडिया से ताल्लुक़ रखती थीं. क्लियोपैट्रा टॉलेमी वंश की पहली सदस्य थीं, जो कि मिस्र की भाषा बोल सकती थीं. लेकिन वो मिस्र वंश की नहीं थीं.
पूरी दुनिया के विपरीत, मिस्र की महिलाएं जमीन खरीद सकती थीं, जज बन सकती थीं और अपनी वसीयत लिख सकती थीं. अगर वह बाहर काम करती थीं, तो उन्हें समान वेतन दिया जाता था. वह तलाक़ भी दे सकती थीं और फिर से शादी भी कर सकती थीं. वह शादी से पहले कॉन्ट्रैक्ट भी कर सकती थीं, जिसमें वह शादी में लाई गई वस्तुओं के बारे में अपने विचार रख सकती थीं.
वैसे तो प्राचीन मिस्र के चित्रों में आपने देखा ही होगा कि यहां के फराओ पतले और तन्दुरुस्त होते थे, लेकिन ममियों के परीक्षण के बाद यह बात सामने आई कि फराओ की कमर चौड़ी होती थी. उनकी खुराक में शराब, शहद, बीयर तथा ब्रेड और अधिक चीनी वाले पदार्थ थे. उनमें से कई मधुमेह के शिकार भी थे.
200 सालों के बाद भी मिस्रवासियों और हित्तीट्स के बीच की लड़ाई का कोई नतीजा नहीं निकला. 1259 में दोनों राज्यों को एक-दूसरे से ख़तरा था. रामसेस और हततुसिलि-3 ने एक 'शांति संधि' की और यह वादा किया कि वह किसी भी तीसरे आक्रमणकारी के खिलाफ एक-दूसरे की मदद करेंगे.
मिस्र के निवासी गणित में काफी तेज होते थे. उनके द्वारा बनाई गई संरचनाओं से यह साबित होता है कि गणित और वास्तु कला में वो बहुत तेज़ और निपुण थे.
प्राचीन मिस्र में अगर कोई बौना पैदा होता था, तो उसको बहुत खुशकिस्मत माना जाता था, क्योंकि उसका बौनापन उसको आसानी से नौकरी दिला देता था. नौकरी भी ऐसी-वैसी नहीं, बल्कि सोने के कारखाने में. विचित्र शक्ल वाले लोग जल्दी से पहचान में आ जाते थे, इसलिए उनको पकड़ना आसान होता था.
ये बात बेहद रोचक है कि गर्भधारण से बचने के लिए प्राचीन मिस्रवासी मिट्टी, शहद और मगरमच्छ के गोबर का एक मिश्रण बनाते थे. उस मिश्रण को महिला की योनि में डाल देते थे, जिससे महिला गर्भवती नहीं होती थी. इनका मानना था कि मगरमच्छ का गोबर एसिडिक होता है, जो शुक्राणुओं को मारता है.
मिस्र एक गर्म जगह है, जहां तापमान 114 डिग्री तक पहुंच जाता है. इस गर्म वातावरण में भी गीज़ा के पिरामिड का तापमान 68 डिग्री ही रहता है. और तो और पृथ्वी का औसत अंदरूनी तापमान भी 68 डिग्री ही है.
प्राचीन मिस्र में बिल्लियों का एक अलग स्थान था. जब भी उनकी पालतू बिल्ली मर जाती थी, तो वे अपनी भौंहें शेव कर देते थे. वे बिल्लियों की ममी बनाते थे और उन्हें चूहों और एक कटोरी दूध के साथ दफनाया जाता था. उनका मानना था कि अगर इस दुनिया में कोई जानवर ऐसी भक्ति पैदा कर सकता है, तो वह बिल्ली ही है.
मिस्र के डॉक्टर एक ही अंग का अध्ययन करते थे. इतिहासकार हेरोडोटस के अनुसार, प्राचीन मिस्र में एक चिकित्सक एक ही बीमारी का विशेषज्ञ था और उससे सम्बंधित इलाज ही करता था. उनके पास हर बीमारी के लिए एक अलग चिकित्सक होता था. “शेफर्ड ऑफ़ द अनस” इनमें से सबसे रोचक नाम था.
प्राचीन मिस्र में पिरामिड बनाने का काम बहुत ही मुश्किल होता होगा, लेकिन रिकॉर्ड्स के अनुसार पिरामिड का काम करने वाले लोग गुलाम नहीं थे. वे कलाकार थे, जिनका नाम इन स्मारकों के नीचे लिखा हुआ नज़र आता है.
कहा जाता है कि रॉयल नेक्रोपोलिस बिल्डिंग पर काम करने वाले कारीगरों को जब उनके हिस्से का अनाज नहीं मिला, तो उन्होंने पास के मंदिर में जाकर शरण ली और काम करने से मना कर दिया. इस तरह से शुरुआत हुई थी, दुनिया की पहली हड़ताल की.
ये बात तो सबको ही पता होगी कि ममी बनाने के लिए मुर्दे को पट्टी बांधने से पहले उसके अंदरुनी अंग निकाल लिए जाते थे. मुर्दे का दिमाग उसकी नाक से निकाला जाता था. उसके बाद इन अंगों को एक उपकरण में रखा जाता था. लेकिन दिल को नहीं निकाला जाता था, क्योंकि ये लोग दिल को आत्मा का प्रतीक मानते थे.
मिस्र पर राज करने के लिए फराओ हत्शेप्सुत ने कई जतन किए थे. माना जाता है कि उनके बाद के फराओ ने उनके स्मारकों को मिटाकर उन्हें इतिहास से निकालने का पूरा प्रयास किया था.
कहा जाता है कि गीज़ा का पिरामिड पृथ्वी के भू-भाग के बीचो-बीच स्थित है. गीज़ा का मशहूर पिरामिड ओराइयन की बेल्ट के साथ संरेखित है. हालांकि इस बात पर कई बहस हो चुकी हैं. इसके अलावा ओराइयन को मिस्र के पुनर्जन्म के देवता ऑसिरिज़ से भी जोड़ा जाता था.
माना जाता है कि तुतनखामन की मृत्यु के तुरंत बाद उनका पिरामिड लूटा गया और लुटेरों ने पकड़े जाने के बाद अपनी वापसी में एक बड़ा थैला गिरा दिया. थैले में पाए गये बड़े त्रिकोण नियॉन की तरह चमकते थे, जो कि ख़ज़ाने की तरफ का रास्ता दिखाते थे.